राजा दशरथ की समाधि स्थल

चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ की समाधि स्थल का वर्णन पुराणों में भी उल्लेखित है। ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बिल्वहरि घाट के पास यह मंदिर स्थित है। पद्म पुराण में भी दशरथ के समाधि स्थल के आध्यामिक महत्व को बताया गया है। भगवान श्रीराम के पिता के मंदिर को लेकर विशेष चर्चा होती है।

मान्यता यह भी है कि इस समाधि स्थल पर पूजन-अर्चन करने वाले साधकों को शनि की साढ़ेसाती के प्रकोप से भी छुटकारा मिल जाता है। पद्मपुराण में भी दशरथ समाधि स्थल के आध्यात्मिक महत्व का वर्णन करते हुए कहा गया है कि जो भी मनुष्य एक बार यहां आकर दर्शन करके दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ व स्मरण करता है, उसे शनिजन्य कष्टों से मुक्ति मिलती है।

यहां विद्यमान कर्मफल दाता शनिदेव का एक विलक्षण विग्रह भी विद्यमान है। इसके दर्शन मात्र से ही शनि की साढ़ेसाती, ढैया समेत सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। यह भी दावा किया जाता है कि एक बार जो यहां आकर शनिदेव के इस अनोखे विग्रह का दर्शन कर राजा दशरथ द्वारा कृत शनि स्तोत्र का स्मरण-पठन करता है उसे जीवनपर्यंत शनि की शुभ दृष्टि व कृपा प्राप्त होती है।

समाधि स्थल के उत्तराधिकारी संदीप दास महराज के मुताबिक यहां चारों भाइयों की चरण पादुका, पिंड वेदी, गुरु वशिष्ठ का चरण चिह्न, प्राचीन ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं, जिसमें आज तक जंग तक नहीं लगी। यहां दशरथ जी, भरत व शत्रुघ्न और गुरु वशिष्ठ की प्रतिमा विद्यमान है। उन्होंने बताया कि भरत ने राजा दशरथ के निधन के उपरांत पूछा कि यहां सबसे पवित्र स्थल कौन है, जहां दशरथ जी का दाह संस्कार हो सके, तब गुरु वशिष्ठ के नेतृत्व में इस जगह का चयन किया गया।

अनेक धार्मिक व पौराणिक प्रतीकों वाले दशरथ समाधि स्थल की पूर्ववर्ती सरकारों ने सुधि नहीं ली, लेकिन अब अयोध्या में प्रभु श्री राम मंदिर के साथ-साथ इस स्थल के जीर्णोद्धार का मार्ग खुल गया है। जिसके चलते श्रीराम जन्मभूमि से लगभग 15 किमी दूर इस स्थान का प्रथम चरण में सुदृढ़ीकरण व सौंदर्यीकरण भी कराया गया है। इसके साथ ही द्वितीय चरण में भी यहां विकास के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। अयोध्या में रामनगरी में प्रभु श्रीराम से जुड़ी हर एक चीज का विशिष्ट महत्व होना चाहिए। वहीं उनके पिता चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ का समाधि स्थल अनदेखी से निरंतर जूझता रहा, लेकिन देर से सही अब यहां का भी जीर्णोद्धार कराया जा रहा है।