रामनगरी में एक ऐसा मंदिर है. जहां महर्षि बाल्मिक द्वारा रचित रामायण का उल्लेख पूरे मंदिर में किया गया है. दरअसल हम बात कर रहे हैं छोटी छावनी मंदिर के ठीक सामने स्थित महर्षि वाल्मीकि मंदिर की. जहां बाल्मीकि रामायण की चौपाइयों को मंदिर की दीवारों पर अंकित किया गया है. यह मंदिर कोई साधारण मंदिर नहीं सभी तरीके की मनोकामना पूर्ण और वेद शास्त्रों से युक्त है.
श्रीराम की चौपाई गाती हैं दीवारें
हालांकि मंदिर पर अधिपत्य श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास का है. मंदिर को उसकी गरिमा के स्वरूप बाल्मीकि भवन के नाम से ही जाना जाता है. रामचरित्र मानस की चौपाइयां और उनका अर्थ बाल्मीकि रामायण भवन दीवारों पर देखने को मिलती हैं.बाल्मीकि रामायण से युक्त मंदिर दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का विशेष आकर्षण मंदिर की दीवारें होती हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी श्रद्धा बाल्मीकि जी के प्रति निवेदन करते हैं. इस मंदिर में बाल्मीकि जी की एक प्रतिमा भी लगी है.जिसका नित्य पूजन भी होता है.
क्या है मंदिर की धार्मिक मान्यता?
इस मंदिर को लेकर कई तरह की धार्मिक मान्यताएं हैं.चारों वेद की जननी मां गायत्री हैं.गायत्री मंत्र का जो 50 अक्षर है ‘ॐ भूर् भुवः स्वः’ जिसमें 24 अक्षर का मंत्र है. इसी 24 अक्षर मंत्र से बाल्मीकि रामायण की रचना हुई है. ब्रह्मा जी के आशीर्वाद और प्रेरणा से बाल्मीकि रामायण भवन की स्थापना की गई थी.सुबह 6 बजे से लेकर 11 बजे और शाम 4 बजे से लेकर रात्रि 9 बजे तक यह मंदिर आम श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है. Ayodhya Press से बातचीत करते हुए मंदिर के व्यवस्थापक ने कहा कि, वेद की जननी मां गायत्री और उनके बीज मंत्र का उल्लेख भी यहां देखने को मिलता है.
महंत नृत्य गोपाल दास ने किया था उद्घाटन
मंदिर के व्यवस्थापक पुनीत रामदास बताते हैं कि, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास के नेतृत्व में बाल्मिक मंदिर का उद्घाटन हुआ था. इस मंदिर का शिलान्यास लगभग 1965 में हुआ था. दर्शनार्थी पिछले 50 वर्षों से बाल्मीकि मंदिर में दर्शन करने आते हैं.