गुप्तार घाट जहाँ भगवान राम ने ले ली थी जलसमाधि, आज भी यहां शांत बहती है सरयू-
अयोध्या में पूरे 51 घाट हैं। जिनमे से एक घाट गुप्तार घाट का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। जो कि सरयू नदी के किनारे पर बना हुआ है। पौराणिक मान्यता और अयोध्या के मंदिर के पुजारियों के अनुसार गुप्तार घाट ही वो घाट है जहां पर पहुंचकर प्रभु श्री राम ने जल समाधि ली थी। कई वर्षों तक अयोध्या पर राज्य करने के बाद प्रभु श्री राम ने इस घाट पर समाधि ली थी। अपने शरीर को इस घाट के जल में गुप्त कर लेने की वजह से ही इसे गुप्तार घाट के नाम से जानते हैं। गुप्तार घाट की महिमा का वर्णन स्कंध पुराण में मिलता है। जिसमे इसका नाम गौ प्रतारण दिया गया है।
मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के साथ ही कीट-पतंग तक उनके दिव्य धाम चले गए, जिसके चलते अयोध्या उजड़ सी गई थी। बाद में उनके पुत्र कुश ने इस नगरी को फिर से बसाया। सरयू नदी के तट पर स्थित गुप्तार घाट पर कई छोटे छोटे मंदिर है, जिनके दर्शन मात्र से ही भक्तों को आनंद की प्राप्ति होती है। इस दिव्य स्थल पर श्रद्धालु मुक्ति पाने की इच्छा लेकर यहां आते है। साथ ही मन्नत भी मांगते हैं। मान्यता है कि इस घाट के दर्शन करने और स्नान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और मनोकामना की पूर्ति होती है। यह पवित्र स्थल सिर्फ धार्मिक लोगो को ही नहीं बल्कि यहां का मनमोहक दृश्य पर्यटकों को भी अपने ओर आकर्षित कर लेता है।
प्राचीन इतिहास के मुताबिक, महाराज विक्रमादित्य ने अयोध्या नगरी को बसाया था। अयोध्या में गुप्तार घाट के अलावा ऋणमोचन घाट, लक्ष्मण घाट, शिवाला घाट, जटाई घाट, अहिल्याबाई घाट, धौरहरा घाट, नया घाट और जानकी घाट काफी मशहूर हैं।
19वीं सदी में राजा दर्शन सिंह द्वारा गुप्तार घाट का नवनिर्माण करवाया गया था। इस घाट पर दिव्य राम जानकी मंदिर, पवित्र पुराने चरण पादुका मंदिर, भगवान नरसिंह जी का मंदिर और भगवान हनुमान जी का मंदिर स्थित है। यहां आने वाले भक्तों का आकर्षक केंद्र है। यहां पर दिव्य मंदिरों के अलावा नौका विहार और रेतीले मैदान के साथ इसके आसपास की हरियाली पर्यटकों की मन मोह लेता है। गुप्तारघाट के पुजारी के अनुसार, इस मंदिर में लगी प्रतिमा में भगवान के पास अस्त्र शस्त्र नहीं है। ऐसा इसलिए है कि जब भगवान राम ने जल समधी ली थी तो वह सब कुछ छोड़ कर गए थे। कोई भी इंसान अपने साथ कुछ नहीं ले जाता। ये मंदिर साढ़े पांच सौ साल पुराना है। यहां स्नान करने से लोगों को मुक्ति मिलती है।
गुप्तार घाट के पास ही मिलिट्री मन्दिर, कम्पनी गार्डन, राजकीय उद्यान और अन्य प्राचीन मन्दिर पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। नौका विहार और लम्बे रेतीले मैदानों के इर्द-गिर्द हरियाली व शान्त वातावरण और सूर्यास्त की निराली छटा लोगों को बरबस अपनी ओर खींच लेती है। बक्सर की युद्ध विजय के बाद तत्कालीन नवाब शुजा-उद-दौला द्वारा निर्मित ऐतिहासिक किला, गुप्तार घाट से चंद कदमों की दूरी पर स्थित है।
अयोध्या में कहा है गुप्तार घाट
अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि से करीब 11 किलोमीटर दूर गुप्तार घाट है। वहीं हनुमान गढ़ी से इसकी दूरी 9 किलोमीटर है। इस घाट से कुछ ही दूरी पर नरसिंह मंदिर, चक्र हरि विष्णु मंदिर है। जिनमे से चक्र हरि विष्णु मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर भगवान श्री राम के चरणों के निशान भी हैं।