महंत प्रेमदास

धार्मिक नगरी अयोध्या के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी के सर्वोच्च पद गद्दी नशीन पर सागरिया पट्टी के बाबा प्रेमदास को तीनों पट्टियों के महंतों ने सर्वसम्मति से कंठी चादर देकर पद पर आसीन किया गया। हनुमानगढ़ी की परंपरा के अनुसार मंदिर के विशालकाय घंटे को बजा कर तीनों पट्टियों के महंतों ने रविवार बाबा प्रेमदास को हनुमानगढ़ी का नया गद्दी नशीन तय किया।

बताते चलें कि इस पद को लेकर पंचों की पहली बैठक में आम सहमति नहीं बन पाई थी। जिसके बाद स्थानीय प्रशासन के आग्रह पर गद्दी नशीन के पद पर पुनर्विचार किया गया और उज्जैनिया पट्टी, बसंतिया पट्टी और हरिद्वारी पट्टी के महंतों ने सर्वसम्मति से बाबा प्रेमदास को हनुमानगढ़ी का नया गद्दीनशीन चुना। रविवार की दोपहर हनुमानगढ़ी मंदिर परिसर में स्थित गद्दी दालान में तीनों पट्टियों के श्री महंतों और नागा साधुओं की एक बैठक हुई। जिसमें तीनों पट्टियों के महंतों ने आम सहमति से बाबा प्रेमदास के नाम को सर्वसम्मति से घोषित किया। जिसके बाद परंपरागत रूप से बाबा प्रेमदास को कंठी ,चंदन ,तिलक ,चद्दर ,माला ,फूल देकर गद्दी नशीन के पद पर आसीन किया गया | बैठक की अध्यक्षता महंत धर्मदास ने की। बैठक में हनुमानगढ़ी के महंत राम चरण दास ने सागरिया पट्टी के बाबा प्रेमदास को श्री महंत गद्दी नशीन बनाए जाने का प्रस्ताव रखा। जिसका अनुमोदन पंचान अखाड़े ने सर्वसम्मति से कर दिया। इसी कड़ी में गद्दी पर आसीन होने के बाद नवागत गद्दी नशीन महंत प्रेमदास ने हनुमानगढ़ी में विराजमान हनुमंत लला के गर्भ ग्रह की चौखट पर सिर रखकर शपथ ली कि वह बिना किसी दुर्भावना के सभी नागा संतो को साथ लेकर चलेंगे और धर्म रक्षा के लिए कार्य करेंगे।

मालूम हो कि हनुमानगढ़ी की परंपरा के अनुसार गद्दी नशीन का पद संभालने के बाद उक्त महंत को हनुमानगढ़ी के 52 एकड़ की परिधि में ही रहना होता है। अपने संपूर्ण जीवन काल के दौरान वह इस परिधि के बाहर नहीं जा सकता। जब महंत का निधन हो जाता है उसी समय उस महंत का शरीर इस परिधि से बाहर जा सकता है। पूर्व के गद्दीनशीन महंतों ने इस परंपरा का पालन किया है। इसी कड़ी में पूर्व गद्दीनशीन मांग रमेश दास के निधन के बाद रिक्त पड़ी अयोध्या के हनुमानगढ़ी मंदिर के गद्दी नशीन की गद्दी फिर से भर गई है। महंत प्रेमदास ने यह पद संभाल लिया है। चुनाव के दौरान उज्जैनिया पट्टी के महंत संत रामदास, बसंतिया पट्टी के महंत राम चरण दास, निर्वाणी अखाड़ा के महासचिव महंत गौरी शंकर दास, महंत राम कुमार दास ,महंत मनमोहन दास, पुजारी रमेश दास,नागा हरिदास, उपेंद्र दास, राजेश पहलवान,संतराम पहलवान,नंदराम दास,नरेश दास ,भरत दास, रामदास,बृजेश दास, पुजारी राजू दास,महंत कल्याण दास,महंत राजेंद्र दास,जनार्दन दास, प्रेम दास शास्त्री, रामविलास दास और मुख्तार अजय श्रीवास्तव सहित पंचान अखाड़े के अन्य सदस्य और नागा साधु संत मौजूद रहे।